District Governor - Rtn. Manjoo Phadke
Feb-2024
Editor - Rtn. Madhur Dolare

Poem by Madhubala Nikam Back
  गरीबी 
जिंदगी ऐसी उलझन है जो सुलझाई नहीं जाती,
होती है पीड़ा सीने में जो जुबा पे लाई नहीं जाती।
तोड़कर सारे बंधन, गरीबी ने गले लगाया है हमें,
ऐसी करी है दोस्ती, हमसे निभाई नहीं जाती।
 
बुझ चुके है दिपक बिन तेल के, अब रोशनी केसी,
हाँ! लगी है आग पेट में जो बुझाई नहीं जाती।
रेशम के तन पर हम टाट भी ओढ़ लेते,
मगर ओढ़कर चिथड़े शर्म छुपाई नहीं जाती।
 
यू तो पैरों तले जमी, सर पर अंबर है,
पर बिन दरो-दिवार के झोपडी भी बनाई नहीं जाती।
वे अपने भाषण में गरीबी हटाने के वायदे करते है,
पर अफसोस, उनसे दीवार-ए-गरीबी गिराई नहीं जाती।
 
वो बनकर आई है दुल्हन मेरे घर डोली में,
बेबस है इतने, उनके लिए सेज भी सजाई नहीं जाती।
अमीरी ने की है बेवफाई हमसे कुछ इतनी,
अब गरीबी से भी शादी रचाई नहीं जाती।
 
जिंदगी, तू फटेहाल आई है मेरे द्वार ,
स्वागत में तेरे खाट भी बिछाई नहीं जाती।
यूँ तो हम भी देखना चाहते है सपनें सितारों के,
पर इन ख्बाबों की किंमत हमसे चुकाई नहीं जाती।
 
देखे हैं खजाने उनके घरों में बहुत से,
हमसे तो पेटभर रोटी भी जुटाई नहीं जाती।
आँचल में है ममता,पर दुध नहीं खून टपकता है,
जख्मों पर उनके मरहम भी लगाई नहीं जाती।
 
रोज खुदा के दरबार में चक्कर लगाते हैं,
छोटे है इतने, उन तक दुआ भी पहुँचाई नहीं जाती।
अपना हाल तुमसे कहते है, तुम ही तो अपने हो,
वरना सरेआम ये दास्ता सुनाई नहीं जाती।
 
अब सहारा है Rotary
 
Rotary सबको करती प्रेरित,
सशक्त है बनाती ,
सहारा देने के कार्य में कभी कमी पाई नहीं जाती।
"व्यावसायिक सेवा" देते हैं की ऊंचा हो जीवन का स्तर,
सहारा देने में कुशल, Rotary की भूमिका व्यर्थ नहीं जाती।
 
जिंदगी की उलझन Rotary है सुलझाती 
होती है पीड़ा सीने में जो Rotary बिन बोले समझ है जाती.....
जिंदगी की उलझन Rotary है सुलझाती ......
 
Madhubala Shailesh Nikam
President RC PEN